अजय शुक्ल, नई दिल्ली।
कांग्रेस पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार का कहर बरस रहा है। कल उन्हें गुजरात की अदालत ने दोपहर मानहानि मामले में सजा सुनाई और आज शुक्रवार को सुबह 11 बजे उनकी सदस्यता खत्म करने का नोटिफिकेशन लोकसभा सचिवालय ने जारी कर दिया। राहुल को सजा होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा अध्यक्ष और अपने कैबिनेट के सदस्यों के साथ बैठक की थी।
मानहानि केस में सूरत की कोर्ट ने गुरुवार को उन्हें 2 साल की सजा सुनाई थी। राहुल गांधी ने 2019 में कर्नाटक की सभा में मोदी सरनेम को लेकर बयान दिया था। उन्होंने कहा था- सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है। इस मामले में सूरत कोर्ट ने उन्हें सजा सुनाई। सुप्रीम कोर्ट ने 2013 में फैसला दिया था कि अगर किसी जन प्रतिनिधि जैसे विधायक या सांसद को 2 साल या उससे ज्यादा की सजा दी जाती है तो उसकी सदस्यता रद्द कर दी जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अगर सजा के खिलाफ प्रतिनिधि ऊपरी अदालत में अपील करता है तो यह िनयम लागू नहीं होगा। वह वायनाड से लोकसभा सदस्य थे। 2019 के लोकसभा चुनाव में वायनाड से कांग्रेस की टिकट पर उन्होंने भारतीय इतिहास की सबसे बड़ी जीत दर्ज की थी। राहुल करीब आठ लाख वोटों से जीते थे।
बुलेट ट्रेन की स्पीड में जजमेंट और सदस्यता रद्द
कल गुरुवार को सीजेएम सूरत एचएच वर्मा की अदालत ने राहुल गांधी के पहुंचते ही उन्हें दोषी ठहराया और फिर माफी मांगने की बात कही। राहुल के इंकार के तत्काल बाद उन्होंने सजा का भी ऐलान कर दिया, उसकी बहस की तैयारी के लिए भी वक्त नहीं दिया। वहीं, अदालत का आदेश जारी होते ही प्रधानमंत्री स्पीकर ओम बिड़ला से मिलने पहुंचे और चर्चा की। शुक्रवार सुबह लोकसभा ने सबसे पहला काम राहुल गांधी की सदस्यता रद्द करने का नोटिफिकेशन जारी करने का किया। इतनी स्पीड में जब फैसले हो रहे हों, तो सवाल उठना लाजिमी है। उधर, कांग्रेस लोकतांत्रिक तरीके से प्रदर्शन करने और लड़ाई लड़ने की योजना ही बनाती रह गई। नेता प्रतिपक्ष एवं कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने 16 विपक्षी दलों के साथ राष्ट्रपित से मिलने का समय मांगा था, वो भी अभी तय नहीं हुआ।